संचार प्रक्रिया में बाधा को क्या कहते हैं? sanchaar prakriya mein baadha ko kya kahate hain?

संचार प्रक्रिया में बाधा को क्या कहते हैं? sanchaar prakriya mein baadha ko kya kahate hain?

संचार प्रक्रिया में बाधा को “संचार अवरोध” या “संचार बाधा” कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें संदेश के प्रवाह में किसी भी स्तर पर व्यवधान उत्पन्न हो जाता है, जिससे संदेश को सही ढंग से समझने या उसे प्रभावी रूप से प्राप्त करने में कठिनाई होती है। संचार बाधाएं किसी भी प्रकार के संवाद—व्यक्तिगत, पारस्परिक, संगठकीय या सामाजिक—में उत्पन्न हो सकती हैं।

संचार प्रक्रिया में बाधा (Communication Barriers) क्या कहते हैं?

संचार मानव जीवन का अभिन्न अंग है, जो हमारी दैनिक गतिविधियों, कार्यों और भावनाओं के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक प्रक्रिया है, जिसमें विचारों, विचारधाराओं, सूचनाओं, भावनाओं या ज्ञान का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रेषण होता है। जब यह प्रक्रिया किसी कारणवश असफल होती है या इसका प्रभावी रूप से कार्यान्वयन नहीं हो पाता, तो इसे “संचार प्रक्रिया में बाधा” कहा जाता है। संचार में रुकावट तब उत्पन्न होती है जब संदेश का सही अर्थ प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुंच पाता या उसे गलत तरीके से समझा जाता है।

संचार में बाधाएँ संचार के विभिन्न चरणों में उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे संदेश भेजने, उसे प्राप्त करने, या उसे सही तरीके से समझने में। यह बाधाएँ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सांस्कृतिक, और तकनीकी हो सकती हैं। किसी भी प्रकार की बाधा संचार के उद्देश्य को विफल कर सकती है, जिससे गलतफहमी, भ्रम और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।

संचार प्रक्रिया का सामान्य अवलोकन

संचार प्रक्रिया में पाँच मुख्य घटक होते हैं:

  1. संचारक (Sender) – वह व्यक्ति जो संदेश भेजता है।
  2. संदेश (Message) – वह जानकारी, विचार या भावना जो संचारक भेजता है।
  3. माध्यम (Medium) – संदेश भेजने का तरीका, जैसे कि वर्बल (मौखिक), नॉन-वर्बल (मूक), लिखित या डिजिटल संचार।
  4. प्राप्तकर्ता (Receiver) – वह व्यक्ति या समूह जो संदेश प्राप्त करता है।
  5. प्रतिक्रिया (Feedback) – संदेश का उत्तर या प्रतिक्रिया, जो प्राप्तकर्ता द्वारा संचारक को भेजी जाती है।

संचार प्रक्रिया को बाधित करने वाली कोई भी चीज़ किसी भी इन घटकों के बीच उत्पन्न हो सकती है, और इसके परिणामस्वरूप संचार में असफलता हो सकती है। इस लेख में हम संचार प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली प्रमुख बाधाओं का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे।

संचार प्रक्रिया में बाधा (Communication Barriers) के प्रकार

संचार में बाधाएँ कई प्रकार की हो सकती हैं। इन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. भाषाई बाधाएँ (Linguistic Barriers)

भाषा संचार का एक मूलभूत हिस्सा है, लेकिन जब संचारक और प्राप्तकर्ता की भाषाएँ या बोलने की शैलियाँ भिन्न होती हैं, तो यह संचार प्रक्रिया में रुकावट डाल सकता है। यदि एक व्यक्ति हिंदी में बात करता है और दूसरा व्यक्ति अंग्रेजी में, तो संदेश का सही रूप में आदान-प्रदान नहीं हो सकता।

इसके अतिरिक्त, विभिन्न क्षेत्रों या संस्कृतियों में बोली जाने वाली स्थानीय भाषाओं, शब्दों और मुहावरों का अर्थ अलग हो सकता है। यही कारण है कि भाषा में असमानता संचार में महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न कर सकती है।

उदाहरण: हिंदी और अंग्रेजी में संचार करना, जहां शब्दों के अर्थ या उच्चारण में अंतर हो सकता है, यह भाषाई बाधा का उदाहरण है।

2. शारीरिक बाधाएँ (Physical Barriers)

शारीरिक बाधाएँ वे बाधाएँ हैं जो संचार के भौतिक पहलुओं से उत्पन्न होती हैं। ये बाहरी कारकों के कारण हो सकती हैं, जैसे शोर, खराब नेटवर्क, या भौतिक दूरी। शारीरिक बाधाएँ विशेष रूप से उन परिस्थितियों में उत्पन्न होती हैं जब संचार उपकरण ठीक से कार्य नहीं करते या वातावरण संचार के लिए उपयुक्त नहीं होता।

उदाहरण: यदि एक व्यक्ति फोन कॉल पर बात कर रहा है और नेटवर्क की समस्या के कारण आवाज ठीक से नहीं आती, तो यह शारीरिक बाधा है। इसी तरह, अगर आप किसी उच्च शोर वाले स्थान पर हैं, तो बातचीत स्पष्ट रूप से नहीं हो सकती।

3. मनोवैज्ञानिक बाधाएँ (Psychological Barriers)

मनोवैज्ञानिक बाधाएँ व्यक्ति की मानसिक स्थिति, भावनाओं या मानसिक स्वास्थ्य के कारण उत्पन्न होती हैं। जब कोई व्यक्ति मानसिक दबाव, चिंता, तनाव या भय के प्रभाव में होता है, तो वह संचार को सही तरीके से नहीं समझ पाता। किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति संचार की प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाती है।

उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति को तनाव है या वह किसी खास मामले के बारे में चिंतित है, तो वह ठीक से संवाद नहीं कर पाएगा। इसके अलावा, किसी के दिमाग में पहले से कोई पूर्वाग्रह या नकारात्मक सोच हो, तो वह किसी अन्य व्यक्ति के संदेश को सही तरीके से नहीं समझ सकता।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ (Social and Cultural Barriers)

सामाजिक और सांस्कृतिक बैधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब लोग विभिन्न संस्कृतियों या समाजों से आते हैं। प्रत्येक समाज और संस्कृति की अपनी-अपनी मान्यताएँ, मूल्य और विश्वास होते हैं, जो संचार के दौरान ग़लतफ़हमी उत्पन्न कर सकते हैं। जब संवाद में इन सांस्कृतिक अंतर को न समझा जाए, तो संचार में रुकावट उत्पन्न हो सकती है।

उदाहरण: एक भारतीय और एक पश्चिमी व्यक्ति के बीच सांस्कृतिक भिन्नताएँ हो सकती हैं, जैसे शिष्टाचार, बातचीत की शैली, या भाषा का उपयोग। कभी-कभी सांस्कृतिक विविधताएँ संचार में बड़ी बाधा बन सकती हैं।

5. भावनात्मक बाधाएँ (Emotional Barriers)

भावनात्मक बाधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब व्यक्ति अपनी भावनाओं से प्रभावित होकर संचार करता है। यह तब हो सकता है जब व्यक्ति अत्यधिक खुश, दुखी, गुस्से में या उत्तेजित होता है। इन भावनाओं का प्रभाव संचार पर पड़ता है, जिससे संदेश को सही तरीके से नहीं समझा जा सकता।

उदाहरण: यदि किसी को गुस्सा आ रहा हो और वह किसी से बात कर रहा हो, तो उसके शब्दों का स्वर या उसकी दृष्टि संचार को विकृत कर सकती है।

6. संगठनात्मक बाधाएँ (Organizational Barriers)

संगठनात्मक बाधाएँ उस समय उत्पन्न होती हैं जब संचार के संदेश में संगठनात्मक प्रक्रियाएँ, संरचनाएँ या नीतियाँ रुकावट डालती हैं। कभी-कभी किसी संगठन में संचार की सीमाएँ होती हैं, जैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों और निम्न पदस्थ कर्मचारियों के बीच संचार की कड़ी न हो।

उदाहरण: एक संगठन में उच्च अधिकारियों से निचले स्तर के कर्मचारियों तक संदेश पहुँचने में देरी होना या संदेश का सही रूप में प्रसार न होना संगठनात्मक बाधा की स्थिति है।

7. तकनीकी बाधाएँ (Technological Barriers)

यह बाधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब संचार तकनीकी उपकरणों की वजह से बाधित होता है। जैसे कि कंप्यूटर, इंटरनेट, फोन आदि की तकनीकी समस्याएँ। यदि उपकरण सही से काम नहीं करते हैं तो संचार में रुकावट हो सकती है।

उदाहरण: इंटरनेट कनेक्शन की समस्या की वजह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संचार में विघ्न पड़ सकता है।

8. ध्यान में कमी (Lack of Attention)

अगर संचारक या प्राप्तकर्ता का ध्यान संचार के प्रति नहीं है, तो संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है। जब कोई व्यक्ति पूरी तरह से सुनने या समझने के लिए मानसिक रूप से उपस्थित नहीं होता है, तो संचार सफल नहीं हो पाता।

उदाहरण: किसी बैठक या कक्षा में यदि छात्र ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, तो वे शिक्षण सामग्री को समझने में असमर्थ हो सकते हैं।

9. पूर्वाग्रह और धारणाएँ (Prejudices and Perceptions)

कभी-कभी संचार में रुकावट उस व्यक्ति के पूर्वाग्रह या गलत धारणाओं के कारण होती है। यदि किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के बारे में पूर्व में नकारात्मक राय हो, तो वह उसका संदेश ठीक से नहीं समझ पाएगा।

उदाहरण: अगर किसी कर्मचारी को यह लगता है कि उसका बॉस हमेशा आलोचना करता है, तो वह बॉस की बातों को सुनने में पूरी तरह से ध्यान नहीं देता।

10. अवधारणात्मक बाधाएँ (Perceptual Barriers)

अवधारणात्मक बाधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब संचारक और प्राप्तकर्ता की धारणाएँ भिन्न होती हैं। यह उन विचारों और विश्वासों के कारण हो सकता है जो व्यक्ति के मन में पहले से होते हैं।

उदाहरण: यदि एक व्यक्ति किसी पर आरोप लगा रहा है, लेकिन दूसरे व्यक्ति की धारणा उसके बारे में पहले से नकारात्मक है, तो वह संदेश को गलत तरीके से समझ सकता है।


संचार में बाधाओं को दूर करने के उपाय

  1. स्पष्टता और सरलता: संदेश को सरल और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें।
  2. सुनने की कला: सक्रिय रूप से सुनना और समझने की कोशिश करें।
  3. सांस्कृतिक संवेदनशीलता: विभिन्न संस्कृतियों के प्रति संवेदनशील रहें और संवाद में समझदारी अपनाएं।
  4. भावनाओं पर नियंत्रण: भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए मानसिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. प्रौद्योगिकी का सही उपयोग: तकनीकी उपकरणों का सही उपयोग करें और यदि कोई तकनीकी समस्या हो तो उसे ठीक करने की कोशिश करें।

निष्कर्ष

संचार बाधाएँ किसी भी संवाद प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन सही रणनीतियों और उपायों के माध्यम से इन्हें प्रभावी रूप से दूर किया जा सकता है। संवाद की सफलता प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों की समझ, दृष्टिकोण और सहयोग पर निर्भर करती है। रामचंद्र शुक्ल जैसे विचारकों की शिक्षाएँ भी इस बात को रेखांकित करती हैं कि स्पष्टता, सक्रियता और संवेदनशीलता के माध्यम से संचार को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

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